मैं माँ हूँ!
मेरे घर आई एक नन्ही परी
सोने की छत पर चांदी के रथ पर
मैं खड़ी ,वो आगे बढ़ी, मैं जगी
देखा ,मेरे अंक से लगी मेरी सुता मेरी
सोनपरी
सोने की छत पर चांदी के रथ पर
मैं खड़ी ,वो आगे बढ़ी, मैं जगी
देखा ,मेरे अंक से लगी मेरी सुता मेरी
सोनपरी
नेह नगरी मैं लपक गयी
गरिमा गगरी छलक गयी
सुख सागर में ढलक गयी
मैं माँ बनी
ओ, मेरा अंश मेरा वंश मेरी जलपरी
गरिमा गगरी छलक गयी
सुख सागर में ढलक गयी
मैं माँ बनी
ओ, मेरा अंश मेरा वंश मेरी जलपरी
वो कुनमुनायी ,कसमसायी ,
मैं नेह निद्रा में पगी न समझ पायी
गर्व भरी अकुलायी, पड़ी दिखलायी
क्षुधातुर पिपासु, मेरी नील निर्झरी
मैं नेह निद्रा में पगी न समझ पायी
गर्व भरी अकुलायी, पड़ी दिखलायी
क्षुधातुर पिपासु, मेरी नील निर्झरी
उर उखड़ ममत्व घुमड़ ,क्षीर धार उमड़
चली , मिली मुख्यद्वार गयी उदरागार
हुई ,दीप्त तनया तृप्त, शांत
शनः शनः स्वप्न लोक चली
चली , मिली मुख्यद्वार गयी उदरागार
हुई ,दीप्त तनया तृप्त, शांत
शनः शनः स्वप्न लोक चली
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