शिक्षक की कामना
आओ हे जग के कर्णधार
माँजो स्वविवेक बुद्धि विचार
ग्रहण करो तम से प्रकाश
जलूँगा जब तक न पूर्ण ह्रास
झेलूंगा झंझावात बनो तुम अन्य की छाया
ग्रहण करो तुम मुझ गुरु वृक्ष की छाया
नही सूखने दूंगा विद्या का निर्झर
जब तक न हो जाओ तुम आत्मनिर्भर
बनो सबल तुम सूर्य पुंज की शक्ति दूंगा
करो निर्बल का संरक्षण स्वयं को मिटा दूंगा
नही चिंता अपने मिटने की प्रतिनिधि
तुम मेरे हो
दुरुपयोग न करना शिक्षा का सुनाम
निधि तुम मेरे हो
पूनम सक्सेना
स्वरचित , मौलिक
आओ हे जग के कर्णधार
माँजो स्वविवेक बुद्धि विचार
ग्रहण करो तम से प्रकाश
जलूँगा जब तक न पूर्ण ह्रास
झेलूंगा झंझावात बनो तुम अन्य की छाया
ग्रहण करो तुम मुझ गुरु वृक्ष की छाया
नही सूखने दूंगा विद्या का निर्झर
जब तक न हो जाओ तुम आत्मनिर्भर
बनो सबल तुम सूर्य पुंज की शक्ति दूंगा
करो निर्बल का संरक्षण स्वयं को मिटा दूंगा
नही चिंता अपने मिटने की प्रतिनिधि
तुम मेरे हो
दुरुपयोग न करना शिक्षा का सुनाम
निधि तुम मेरे हो
पूनम सक्सेना
स्वरचित , मौलिक
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