Sunday, September 8, 2019

माँ
ओ, जननी,शून्य विचारिणी   चिरस्मरणी
हमारा मनप्राण करती भान व्यथित संतान
रखती मान करती समाधान
लगा पण प्राण
अपनी धन धान्य मौन वान्य
हमारी मान्य
प्रसन्न वदना उदार मना
साहस घना
स्नेह वर्षा, ममत्व दर्शा,देती
बाल हर्षा
जग चकित,करती प्रभित न
थकित श्रम स्थापित
कर स्मरण प्रभु चरण अटल
जन्म मरण
पायी अंत गति सत्य सती
दे  हमको सुमति
            ओ हम सब की माँ
-----पूनम सक्सैना द्वारा रचित .....
(मेरी बड़ी दी)

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