ब्रजराज ,,,,,जय कन्हैया लाल की
उठो उठो ब्रजराज कुंवर
भोर उतर आई
हर्षित भये ब्रज के वासी
देख देख अरुणाई
मैना बोली बुलबुल बोली
गौरैया चहकन लगी
डाली भयी पल्लवित कुसुमित
बयार महकन लगी
गैया बोली बछड़ा रांभा
जीव कोलाहल करें
दाना पंछी हरित तृण गोधन
गोपी दुहन करें
मैया हिल हिल दधि मथे
माखन ढेर धरे
कान्हा इत उत शीश हिलावे
नयना ज्योति भरे
मुख धो लो जमना जल कान्हा
ब्रज में प्राण भरे
गोरस उदर धरो मन मोहन
लोभी नवनीत बड़े
कर बद्व प्रणाम बंधु परमेश्वर
पालक, रक्षक हे योगेश्वर
पूनम सक्सेना
स्वरचित , मौलिक
उठो उठो ब्रजराज कुंवर
भोर उतर आई
हर्षित भये ब्रज के वासी
देख देख अरुणाई
मैना बोली बुलबुल बोली
गौरैया चहकन लगी
डाली भयी पल्लवित कुसुमित
बयार महकन लगी
गैया बोली बछड़ा रांभा
जीव कोलाहल करें
दाना पंछी हरित तृण गोधन
गोपी दुहन करें
मैया हिल हिल दधि मथे
माखन ढेर धरे
कान्हा इत उत शीश हिलावे
नयना ज्योति भरे
मुख धो लो जमना जल कान्हा
ब्रज में प्राण भरे
गोरस उदर धरो मन मोहन
लोभी नवनीत बड़े
कर बद्व प्रणाम बंधु परमेश्वर
पालक, रक्षक हे योगेश्वर
पूनम सक्सेना
स्वरचित , मौलिक
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