मेरी बिटिया .......
आया सावन याद आ गयी मुझको बिटिया तेरी
कैसे भूले बिटिया मुझको मधुर स्मृति तेरी
आया सावन याद आ गयी मुझको बिटिया तेरी
कैसे भूले बिटिया मुझको मधुर स्मृति तेरी
फूले नीम ,निबौली फूली
पिछले सावन मेरी बिटिया अंगना झूला झूली
गली -गली घूमी सज धज कर ,सावन के मेले में
झूम -झूम कर समां गयी थी ,सखियों के रेले में
कोयल कुहके नाचे मोर
मन विहग उड़ा बिटिया की ओर
खीचे -भीचे नेह की डोर
पर हमने ही भेजी बिटिया ,लगा प्रयास और जोर
नैनो में है छवि बिटिया की ,पढने गयी गन वेश में
पति निकेतन ठहरी बिटिया ,मन तो होगा देश में
भीगी धरती, भीगा अम्बर ,भीग गया घर - द्वार
भीगे पल -पल , पुलक -पुलक मन, भीगे बारम्बार
आया झोखा याद का ,चहके मन के तार
कैसी होगी बिटिया मेरी , मन पूछे बार -बार
छोड़ अंदेशा ,भेज संदेशा तुरंत बुलाओ बिटिया को
खीर ,पूरी घेवर लाकर कर जिमाओ पति संग बिटिया को
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