Sunday, September 8, 2019

हम सब श्रमिक हैं
  प्रेरक पंक्ति --
मई दिवस की याद आयी
सर्वप्रथम  अपने को दी बधाई
(  मेरी बहना  )
मुझे भी मेरी याद आयी
क्या कोई मुझे देगा बधाई
नही
बेटी आएगी कॉलेज से
माँ भूख लगी है बड़े जोर से
माँ जल्दी कुछ बना दो खाऊँगी
अभी आती हूँ पहले नहाउंगी
मैं उसकी सुध लेती हूं
फिर आपसे कुछ कहती हूँ
लेटना चाहा किया स्वयं वादा
हो  न पाया काम था ज्यादा
बेटी मुँह बना बना कर खा रही है
मेरी मेहनत को पलीता लगा रही है
आता होगा बेटा
शरीर से अकड़ा ऐंठा
जब से वो फैक्ट्री गया है
बड़ा हुआ आधा रह गया है
बस की देर सवेर
मेज पर कागजों का ढेर
मालिक का आदेशात्मक स्वर
कुछ गलती न हो जाये रहता डर
शाम हुई चलना अब घर
धड़ धड़ धड़ धड़ भड़ भड़
मैं भूली हूँ एक श्रमिक को
घर के एक महान कार्मिक को
श्रम बिंदु से पूर्ण लथ पथ
घर आएगा झपट झपट झट
वो मेरे बच्चों का पिता है
उसको भी घर की चिंता है
अलग अलग श्रमिक कथा है
सबकी अपनी अपनी व्यथा है

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