Sunday, September 8, 2019

मेरी नन्ही परी 

मेरे घर आई एक नन्ही परी 
सोने की छत पर ,चाँदी के रथ पर 
मै खड़ी,वो आगे बढ़ी ,मै जगी 

देखा ! मेरे अंक से लगी मेरी सुता
मेरी सोनपरी .
नेह नगरी मै लपक गई
गरिमा गगरी छलक गई
सुख सागर में ढलक गई
मै माँ बनी ,ओ !मेरा अंश ,मेरा वंश
मेरी जलपरी,
वो कुनमुनाई कसमसाई
मै नेह निद्रा में पगी न समझ पाई
गर्व भरी ,अकुलाई ,पड़ी दिखलाई
क्षुधातुर पिपासातुर मेरी
नील निर्झरी,
उर उखड़ ममत्व घुमड़ क्षीरधार उमड़
चली मिली मुखद्वार गई उदारागार
हुयी दीप्त तनया तृप्त शांत शनाह शनाह शनिः
स्वप्न लोक चली,

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