श्री कृष्ण
कृष्ण वासुदेव प्रभु अब तो पधारिये
उदारता की निर्झरी दिग दिग उतारिये
कर्मयोगी योगेश्वर हृदय विराजिए
गोपियों की प्रतीक्षा का अंत डारिये
भक्ति विव्हल अश्रु मुक्तमाला रचे
पावन सरित दर्शन पिपासा बुझे
हे रणछोड़ अवतार भूल न जाइये ,,,,,
कान्हा जगत में है हलचल मची
किसने ये षड्यंत्र ये योजना रची
कंसों दुर्योधनों की गणना कठिन
बालिका किशोरियां भयभीत निशदिन
अत्याचार दुराचार समूल नाशिये,,,,,
कदम्ब वृक्ष आपके विलोप हो गए
गोवर्धनों की गात में छिद्र हो गए
वसुंधरा के अश्रु भी वाष्प बन गए
विस्तृत नभ के पाश में पाषाण बन गए
नष्ट भ्रष्ट संसार पर अवरोध डालिये ,,,,,,,,
स्वरचित मौलिक
पूनम सक्सेना
उदारता की निर्झरी दिग दिग उतारिये
कर्मयोगी योगेश्वर हृदय विराजिए
गोपियों की प्रतीक्षा का अंत डारिये
भक्ति विव्हल अश्रु मुक्तमाला रचे
पावन सरित दर्शन पिपासा बुझे
हे रणछोड़ अवतार भूल न जाइये ,,,,,
कान्हा जगत में है हलचल मची
किसने ये षड्यंत्र ये योजना रची
कंसों दुर्योधनों की गणना कठिन
बालिका किशोरियां भयभीत निशदिन
अत्याचार दुराचार समूल नाशिये,,,,,
कदम्ब वृक्ष आपके विलोप हो गए
गोवर्धनों की गात में छिद्र हो गए
वसुंधरा के अश्रु भी वाष्प बन गए
विस्तृत नभ के पाश में पाषाण बन गए
नष्ट भ्रष्ट संसार पर अवरोध डालिये ,,,,,,,,
स्वरचित मौलिक
पूनम सक्सेना
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